भारतीय सिनेमा जब भी भारत की कहानी दिखाता है तब वह अंतराष्ट्रीय सिनेमा को अपनी ओर आकर्षित करता है।
कांतारा उन फिल्मों की सूची में शामिल हो गई है जिन्होंने भारतीय लोककथा को बेहतरीन तरीके से दर्शकों तक पहुँचाया है और यह भी साबित किया है कि कम बजट में भी एक विश्वस्तरीय फ़िल्म बनाया जा सकता है।
फ़िल्म के शीर्षक यानी कांतारा का मतलब होता है रहस्यमयी जंगल ।जब आप यह फ़िल्म को देखने बैठेंगे तब यह आपको रहस्य की दुनिया में पहुँचा देगी जहाँ आपके लिए सब कुछ नया होगा।नई जगह,नई कहानी,नए लोग,नए देवी देवता,सब कुछ नया सा लगेगा
जिस तरीके से लोककथा,स्थानीय संस्कृति और उनकी पूजा पद्धति को मिलाकर यह फ़िल्म बनी है यह भारतीय सिनेमा की खूबसूरत दुनिया को देखने के लिए एक खिड़की का काम करती है।
अब आते है फ़िल्म की कहानी पर ।
कर्नाटक के कुन्दपुर गाँव में रहने वाले आदिवासियों की यह कहानी उनकी जमीन के प्रति जुड़ाव और उसके छीने जाने के डर पर है इस डर से बचने के लिए वो क्या कर सकते है फ़िल्म उसी पर आधारित है।
फ़िल्म की कास्ट
फ़िल्म के मुख्य किरदार शिवा का किरदार ऋषभ शेट्टी ने निभाया है, साथ ही उन्होंने फिल्म के निर्देशन और लेखन का काम किया है।
वहीं शिवा की प्रेमिका लीला के रोल में सप्तमी गौड़ा नज़र आ रहीं हैं। जिनकी यह दूसरी ही फ़िल्म है।
फॉरेस्ट ऑफिसर के रूप में किशोर कुमार ने भी कमाल की एक्टिंग की है।
फ़िल्म में अच्युत कुमार नेगेटिव रोल में दिख रहे है,उन्होंने अपना किरदार शानदार ढंग से निभाया है वही सुधाकर की भूमिका में प्रमोद शेट्टी नज़र आ रहे हैं
शिवा की माँ का किरदार निभाया है मानसी सुधीर ने,जो एक भरतनाट्यम की डांसर भी हैं।
कुलमिलाकर कहे तो किरदारों ने अपना किरदार बखूबी निभाया है।
वैसे तो इस फ़िल्म के लगभग सभी कलाकारों के पास थिएटर का अनुभव पहले से हैं।
क्यों देखे ?
-फ़िल्म की स्टोरी टेलिंग ही फ़िल्म की असली हीरो है क्योंकि रीमेक और ऐडप्टैशन के दौर में यह एक ऐसी कहानी है जिससे आपको एकदम मारक मज़ा मिलेगा।
-फ़िल्म का सिनेमैटोग्राफी काफ़ी शानदार है जंगल के दृश्य काफ़ी आकर्षक लगते है। काफ़ी कलरफुल शॉट्स लिए गए है जिससे मनमोहक एक्सपीरियंस मिलेगा।वहीं बैकग्राउंड म्यूजिक फ़िल्म को शुरू से लेकर आखिर तक आप को फ़िल्म से बांधे रखता है।
फ़िल्म के एक्शन सीन्स इतने वास्तविक और जबरदस्त है कि मत ही पूछो। क्लाइमैक्स तो वाकई क्लाइमैक्स है ऋषभ शेट्टी ने बिना कुछ बोले पूरी जान लगा दी है। फ़िल्म के क्लाइमेक्स सीन में अभिनय बेहद शानदार है आपकी आंखे खुली की खुली रह जाएगी ।
-आई.एम.बी.डी में फ़िल्म को 9.4 की रेटिंग मिली है जो अब तक कि किसी भी भारतीय फ़िल्म की सबसे अधिक रेटिंग है।
इससे पहले कि यह सिनेमाघरों से उतरे,हो आईये !
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