भारत की ओर से यह छःफिल्में कान्स फ़िल्म फेस्टिवल में होंगी शामिल

इस वर्ष फ्रांस में होने वाली कान्स फ़िल्म फेस्टिवल 17 मई से 28 मई तक चलने वाली है जिसके लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कान्स फिल्म समारोह में प्रदर्शित होने वाली फिल्मों की सूची जारी की हैं । इस सूची में रॉकेट्री सहित और 5 फिल्मों के नाम शामिल हैं।

सूची में रॉकेट्री - द नांबी इफेक्ट का वर्ल्ड प्रीमियर भी शामिल है, जिसमें आर माधवन ने मुख्य भूमिका निभायी है और इसका डायरेक्शन भी माधवन ने किया है। रॉकेट्री-द नांबी इफेक्ट का प्रीमियर जहां पलाइस के में होगा वहीं बाकी फिल्मों का प्रदर्शन ओलम्पिया थिएटर में किया जाएगा। 

75वें फिल्म समारोह में इन फिल्मों की होगी स्क्रीनिंग

1. रॉकेट्री - द नांबी इफेक्ट

(फ़ोटो स्त्रोत : इंस्टाग्राम

रॉकेट्री- इस फ़िल्म को आर माधवन ने डायरेक्ट किया है,जो कि ISRO के पूर्व वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर, भारतीय वैज्ञानिक नंबी नारायणन के जीवन पर आधार‍ित है,उन पर जासूसी का आरोप लगाया जाता है जिसकी सच्चाई का खुलासा इस बायोग्राफिकल ड्रामा में द‍िखाया जाएगा।

इस फ़िल्म के जरिए आर माधवन की डायरेक्टोरियल डेब्यू कर रहे है।

फ़िल्म में नंबी नारायणन का किरदार भी आर माधवन ने निभाया है,वही शाहरुख खान को इस फ़िल्म में गेस्ट अपीयरेंस के रूप में देख सकेंगे ।

इस फ़िल्म की भारत मे रिलीस डेट को 1 जुलाई रखी गयी है।

2 .गोदावरी 

गोदावारी फ़िल्म का पोस्टर (स्त्रोत:आई.एम.बी.डी)

इस मराठी ड्रामा फ़िल्म को निखिल महाजन ने डायरेक्ट किया है। 

फ़िल्म में मुख्य किरदार निशिकांत देशमुख का जितेंद्र जोशी ने निभाया है, वही नारोपन्त देशमुख के रूप में विक्रम गोखले नज़र आएंगे,नींना कुलकर्णी भागीरथी देशमुख के रूप में देखने को मिलेगी।

इस फ़िल्म को प्राजक्त देशमुख ने लिखा है,जिन्हें युवा साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिल चुका हैं।

यह निशिकांत देशमुख की कहानी है- जो एक नदी के किनारे अपने परिवार के साथ एक पुरानी हवेली में रहते हैं। 

पीढ़ियों से निशि और उनका परिवार किराया वसूल करने वाला रहा है। उनके दादा, नरोपंत, डेमेंसिया से पीड़ित हैं, उनके पिता नीलकांत को भूलने की बीमारी  है। 

जिओ सिनेमा में इस फ़िल्म को देखा जा सकता है 

3.अल्फा बीटा गामा

अल्फा बीटा गामा का पोस्टर (स्त्रोत:आई.एम.बी.डी)

इस फ़िल्म का डायरेक्शन शंकर श्री कुमार ने किया है 

यह फ़िल्म एक कॉमेडी ड्रामा है,इस फ़िल्म में जय अपनी पत्नी मिताली को उसके घर तलाक लेने के लिए जाता है,जो कि रवि के साथ रहती है रवि वो है जिससे मिताली शादी करने वाली है।

रवि,जय और मिताली को अकेले छोड़ने वाला रहता है ताकि वो अपनी तलाक को लेकर चर्चा कर सके तभी उसी दौरान कोरोना के चलते लॉकडाउन लग जाता है।

अब प्रेम  के वायरस से पीड़ित तीन व्यक्ति यह तय करने के लिए जूझते हैं कि उन्हें क्या चाहिए और किस कीमत पर, वह भी तब जबकि उनके पास अपने भीतर झांकने के अलावा और कहीं जाने का विकल्प उपलब्ध नहीं है।

4.बुम्बा राइड 

फ़ोटो स्त्रोत:(आई एम बी डी)

इस असमिया फ़िल्म का डायरेक्शन बिस्वजीत बोरा ने किया है जिन्होंने गॉड ऑन द बालकनी का भी डायरेक्ट किया है बूम्बा राइड भारत की ग्रामीण शिक्षा प्रणाली में फैले व्यापक भ्रष्टाचार पर एक तीखा हास्य व्यंग्य है– और यह आठ साल के एक ऐसे लड़के (नवोदित इंद्रजीत पेगू, ) के बारे में है जो हेराफेरी करके खेल को अपने पक्ष में करना जानता है। एक सच्ची कहानी से प्रेरित, इस फिल्म को असम में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर ज्यादातर गैर-पेशेवर कलाकारों के साथ शूट किया गया है।

इस फिल्म की कहानी एक साधनहीन स्कूल के इर्द-गिर्द घूमती है जिसमें केवल एक छात्र, बूम्बा है। अपनी नौकरी और फंडिंग को बनाए रखने के लिए बेताब उस स्कूल के सभी शिक्षक उदासीन एवं असहयोगी रवैया रखने वाले इस लड़के को कक्षा में आने के लिए रिश्वत देते हैं- जबकि बूम्बा की गुप्त इच्छा शहर के एक ऐसे बेहतर वित्त-पोषित स्कूल में जाने की है, जहां बस एक थोड़ी बड़ी और बहुत सुंदर लड़की पढ़ती हो।


5.धुई 

फ़ोटो स्त्रोत : आई एम बी डी

इस फिल्म का निर्देशन अचल मिश्रा ने किया है,

फ़िल्म का मुख्य किरदार पकंज अभिनेता बनना चाहता है और स्थानीय नगर निकाय के लिये नुक्कड़ नाटक करता है, ताकि अपना खर्च उठा सके । उसके सपने बहुत बड़े हैं। वह अपने मित्र प्रशांत के साथ महीने भर में मुम्बई जाना चाहता है।


6.द ट्री फुल ऑफ पैरेंट्स 

द ट्री फुल ऑफ पैरेट का पोस्टर

इस मलयालम फ़िल्म का निर्देशन जय राम ने किया है

फ़िल्म की कहानी एक आठ साल के बच्चे पूजन का है,जो झील में मछली पकड़ने का काम करता है,उसी झील में उसे एक अंधा व्यक्ति मिलता है जो अपना घर का रास्ता भूल चुका होता है, 

आठ साल का पूजन उसे घर तक पहुँचाता है,इस समाज में कैसे बुजुर्गों को बोझ समझ कर उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता हैं और बुजुर्गों को होनी वाली समस्या को इस फ़िल्म दर्शाया गया है। 

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